Wednesday, May 25, 2011

भोजपुर के गीधI, कोईलवर एवं बिहियां में लाइलाज कैंसरकारक एस्बेस्टॉस कारखाने

भोजपुर के गीधI, कोईलवर एवं बिहियां में लाइलाज कैंसरकारक एस्बेस्टॉस कारखाने पर तत्काल रोक के लिए संघर्ष तेज करें

भोजपुरवासियों,

जानलेवा एस्बेस्टॉस कारखाने से पैदा हुए संकट के संबंध् में चिकित्सा शास्त्रा एवं विज्ञान के सारे अध्ययन सपफेद एस्बेस्टॉस सहित अन्य एस्बेस्टॉस पर रोक लगाने की हिमायत करते है। ऐसे में राज्य के भोजपुर जिले में तीन एस्बेस्टॉस के कारखाने जन विरोध्ी, पर्यावरण विरोध्ी, स्वास्थ्य विरोध्ी, मजदूर विरोध्ी और अवैज्ञानिक है। एस्बेस्टॉस का प्रयोग और उद्योग, भोजपुरवासियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते है। उपमुख्यमंत्राी द्वारा अपने बजट भाषण में एस्बेस्टॉस कारखाने को जमीन मुहैया कराने की घोषणा निंदनीय हैं। राज्य सरकार की एस्बेस्टॉस उद्योग नीति वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के लिए घातक है। गौरतलब है कि लोकसभा में विपक्ष की नेता ने 18 अगस्त 2003 को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्राी के रूप में संसद को बताया था कि ‘सभी प्रकार के एस्बेस्टॉस से मिसोथेलियोमा, पफेपफड़े का कैंसर और एस्बेस्टॉसीस जैसी लाइलाज बिमारीयां होती है।’ ऐसे में राज्य के स्वास्थ्य मंत्राी, पर्यावरण मंत्राी एवं उपमुख्यमंत्राी का पुंजीपरस्त अज्ञान भरोसे लायक नही है।

जानलेवा एस्बेस्टॉस का कारखाना रोजगार के नाम पर भी सही नही है। ऐसे कारखानों से न सिपर्फ एस्बेस्टॉस पफैक्ट्री के मजदूर एवं उनके परिवार रोगग्रस्त होते है बल्कि आसपास के कारखाने के मजदूर, गांव वाले एवं एस्बेस्टॉस उत्पाद का प्रयोग करने वाले भी लाइलाज पफेपफड़े के कैंसर जैसी बिमारीयों के शिकार होते है। यह बिमारी दस से पच्चीस साल के बाद प्रकट होता है।
ऐसे में तमिलनाडु की निभी इंडस्ट्रीज एवं रामको इंडस्ट्रीज के गीध, कोईलवर एवं बिहिया के एस्बेस्टॉस कारखानों पर तत्काल रोक के लिए जारी संघर्ष पूरी तरह वैज्ञानिक और जायज है।
भोजपुरवासियोे निम्नलिखित बातों पर गौर कर एस्बेस्टॉस कारखाने के खिलापफ आंदोलन में शरीक हों:-
1. स्वास्थ्य एक राज्य का विषय है इसलिए वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ी को जानलेवा एस्बेस्टॉस जनित बिमारियों से बचाने के लिए, एस्बेस्टॉस कारखाने का निर्माण रोकने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नही है। इंडोसल्पफान कीटनाशक पर केरल राज्य द्वारा उठाया गया कदम अनुकरणीय है।
2. एस्बेस्टॉस एक खनिज पदार्थ है। इसके रेशे सांस द्वारा पफेपफड़े में चले जाते है।
3. विश्व के 55 देशों में एस्बेस्टॉस पर प्रतिबंध् लगा दिया है। अपने देश में भी एस्बेस्टॉस खनन पर पाबंदी है। अपने देश में एस्बेस्टॉस कनाडा जैसे देशों से आता है जो स्वयं इसका इस्तेमाल नही करता है।
4. दसवी एवं बारहवीं कक्षा के क्रमशः जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान की 1994 और 1976 में प्रकाशित ;भारती भवन प्रकाशनद्ध में भी एस्बेस्टॉस जनित रोगों का जिक्र है।
5. जून 2006 में अंतराष्ट्रीय मजदूर संगठन अपनी 95वीं बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया कि एस्बेस्टॉस जनित रोगों से मुक्ति के लिए सबसे प्रभावी कदम इसका भविष्य में प्रयोग को रोकना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी 2005 में ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया है।
6 सपफेद एस्बेस्टॉस ;निषेध् एवं आयातद्ध विध्ेयक 2009 राज्य सभा में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाल के पफैसले में इस विध्ेयक का संज्ञान लिया है। यह पफैसला 21 जनवरी 2011 का है जिसमें सरकार को एस्बेस्टॉस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने की अनुशंसा है।
7. विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर संगठन द्वारा पारित 2005 एवं 2006 के प्रस्ताव में लिखा है कि एस्बेस्टॉस के जगह पर अन्य विकल्पों के प्रयोग द्वारा ही एस्बेस्टॉस जनित लाइलाज रोगों से मुक्त हुआ जा सकता है। प्रत्येक दिन 300 लोग एस्बेस्टॉस के जहरीले प्रभाव से असमय मौत के शिकार हो रहे है। सपफेद एस्बेस्टॉस ;क्राईसोटाईलद्ध सहित सभी एस्बेस्टॉस पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
8. केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय का विजन स्टेटमेंट भारत को एस्बेस्टॉस मुक्त करने एवं एस्बेस्टॉस के विकल्पों को प्रयोग में लाने की सिपफारिश करता है। ऐसे में केन्द्र की एवं राज्य सरकार की जन विरोधी, पर्यावरण विरोध्ी, स्वास्थ्य विरोध्ी, मजदूर विरोध्ी और अवैज्ञानिक एस्बेस्टॉस उद्योग नीति हास्यास्पद है।

इन तथ्यों के आलोक में यह स्पष्ट है कि गीध, कोईलवर, बिहियां, मुजफ्रपफरपुर और वैशाली में हुए जारी एस्बेस्टॉस कारखाने के खिलापफ जारी लड़ाई एक है। जनआंदोलन के कारण मुख्यमंत्राी द्वारा एक तरपफ तो एस्बेस्टॉस उद्योग पर पाबंदी लगाने के लिए जांच का आदेश जारी किया गया है दूसरी तरपफ राज्य की एस्बेस्टॉस उद्योग को जमीन मुहैया कराया जा रहा है। मुख्यमंत्राी का यह कहना कि जब पुरे देश में एस्बेस्टॉस पर पाबंदी लग जायेगी तब राज्य में भी इस पर रोक लगा दी जायेगी तर्कसंगत नही है। भोजपुरवासियों का संघर्ष यह मांग करता है कि राज्य की उद्योग नीति से एस्बेस्टॉस उद्योग को निकाल दिया जाए। हम केन्द्र सरकार से भी एस्बेस्टॉस उद्योग पर पाबंदी लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग करते है।

1. कैंसरकारक एस्बेस्टॉस कारखाना गीध, कोईलवर और बिहियां में क्यो?
2. 55 देशों में प्रतिबंध्ति जानलेवा एस्बेस्टॉस कारखाना भोजपुर में क्यो?
3. निभी और रामको कंपनी के एस्बेस्टॉस कारखाने पर रोक लगाओं।
4. भीमराजा और सुशील मोदी गठजोड़ मुर्दाबाद।
5. जहरीला एस्बेस्टॉस कारखाना रोकना होगा।
6. पफेपफड़े के कैंसर कारखाने पर रोक लगाओं।
7. सोनिया गांध्ी और नीतिश सरकार की एस्बेस्टॉस नीति खत्म करो।
8. भोजपुर से एस्बेस्टॉस कारखाना हटाओ।
9. गीध, बिहियां, मुजफ्रपफरपुर, वैशाली की एस्बेस्टॉस विरोध्ी लड़ाई एक है।
10. बिहार को जानलेवा एस्बेस्टॉस से मुक्त करों।
11. भारत सरकार और बिहार सरकार एस्बेस्टॉस उद्योग बंद करो।
12. जहरीली एस्बेस्टॉस उद्योग नीति खत्म करो।
13. लाइलाज रोगों का एस्बेस्टॉस कारखाना बंद करो।
14. जानलेवा एस्बेस्टॉस उद्योग और राज्य सरकार की मिलीभगत मुर्दाबाद।
15. सुशील मोदी और जहरीले एस्बेस्टॉस कम्पनी मालिक भीमराजा की
यारी मुर्दाबाद।

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